Danny Weber
11:13 31-10-2025
© A. Krivonosov
Omdia के मुताबिक Q3 2025 में वैश्विक स्मार्टफोन बाजार 3% बढ़कर 320.1M यूनिट हुआ. सैमसंग 60.6M के साथ शीर्ष, ऐप्पल 56.5M पर. अफ्रीका व APAC में तेज वृद्धि.
रिसर्च फर्म Omdia के मुताबिक 2025 की तीसरी तिमाही में वैश्विक स्मार्टफोन बाजार 3% बढ़कर 320.1 मिलियन इकाइयों तक पहुंच गया। साल की सुस्त शुरुआत के बाद यह उछाल वापसी का पहला ठोस संकेत माना जा रहा है। सैमसंग ने 6% साल-दर-साल बढ़ोतरी के साथ 60.6 मिलियन शिपमेंट कर शीर्ष स्थान फिर अपने नाम किया, जबकि ऐप्पल 56.5 मिलियन और 4% वार्षिक बढ़त के साथ दूसरे नंबर पर रहा।
यह पलटवार बेहतर उपभोक्ता मांग और स्थिर होती सप्लाई चेन से सहारा पाता दिखा। साल की शुरुआत में यूएस टैरिफ नीतियों में बदलाव, कमजोर रिटेल बिक्री और निर्माताओं की इन्वेंटरी समायोजन से सेक्टर दबाव में था। तीसरी तिमाही तक माहौल बदला—सैमसंग, ऐप्पल, ट्रांसन और ऑनर ने अपने-अपने शिपमेंट में दो-दो मिलियन से ज्यादा इकाइयाँ जोड़ीं।
सैमसंग की रफ्तार Galaxy Z Fold 7 और Z Flip 7 जैसे फोल्डेबल्स के साथ बजट-फ्रेंडली Galaxy A07 और A17 से आई, जिन्हें एशियाई और मध्य-पूर्वी बाजारों में अच्छी प्रतिक्रिया मिली। ऐप्पल ने iPhone 17, 17 Pro और 17 Pro Max की मजबूत बिक्री पर भरोसेमंद प्रदर्शन किया, खासकर भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में मांग तेज रही। फोल्डेबल्स के योगदान और वैल्यू-केंद्रित मॉडलों की पकड़ साथ-साथ चलती दिखी—इशारा साफ है कि व्यापक रणनीति फिलहाल काम कर रही है।
श्याओमी ने 43.4 मिलियन स्मार्टफोन भेजे, बढ़त सिर्फ 1% रही। चीन में सब्सिडी के बाद की ठंडक को अन्य क्षेत्रों की वृद्धि ने कुछ हद तक संतुलित किया। ट्रांसन 28.6 मिलियन इकाइयों और 12% उछाल के साथ चौथे स्थान पर रहा, जबकि वीवो 28.5 मिलियन और 5% बढ़त के साथ टॉप-5 में शामिल रहा। यह बिखराव बताता है कि गति अब तेजी से भूगोल और प्राइस-बैंड के हिसाब से तय हो रही है।
सबसे मजबूत वृद्धि अफ्रीका (+25%) और एशिया-प्रशांत (+5%) में दिखी, जहां शिपमेंट लेट 2021 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचे। इसके उलट, उत्तरी अमेरिका और चीन में गिरावट रही। विश्लेषकों के मुताबिक बाजार दो ध्रुवों में बंटता जा रहा है—100 डॉलर से कम और 700 डॉलर से ऊपर के सेगमेंट तेजी से फैल रहे हैं, जबकि मिड-रेंज कमजोर कड़ी बनी हुई है। Omdia ने यह भी आगाह किया कि कंपोनेंट की लंबी चल रही कमी और उत्पादन लागत में बढ़ोतरी नए मॉडलों के दाम ऊपर ले जा सकती है और एंट्री-लेवल की मांग सुस्त कर सकती है—खतरा यही है कि रिकवरी हर जगह एक जैसी महसूस न हो।