यूनाइटेड किंगडम में Qualcomm के खिलाफ सामूहिक मुकदमे की सुनवाई शुरू हो गई है. कंपनी पर आरोप है कि उसने बाजार में अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया और अपनी तकनीकों के लाइसेंस महंगे कर दिए. उपभोक्ता अधिकार समूह का कहना है कि अमेरिकी चिपमेकर की इन प्रथाओं के चलते Apple और Samsung के स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं से लगभग एक दशक तक अधिक भुगतान करवाया गया हो सकता है. यह विवाद तकनीकी लाइसेंसिंग की अक्सर अदृश्य दुनिया को सीधे आम खरीदारों के अनुभव से जोड़ देता है.
यह दावा 2015 से 2024 के बीच स्मार्टफोन खरीदने वाले लगभग 2.9 करोड़ यूके निवासियों की ओर से दायर है. संभावित कुल भुगतान 480 मिलियन पाउंड (करीब 645 मिलियन डॉलर) आंका गया है. औसतन, यह प्रति स्मार्टफोन मालिक लगभग 17 पाउंड—करीब 23 डॉलर—बैठ सकता है.
वादियों का तर्क है कि Qualcomm ने चिपसेट आपूर्ति और टेक्नोलॉजी लाइसेंसिंग में अपनी प्रभुत्वपूर्ण स्थिति का लाभ उठाकर Apple और Samsung जैसे डिवाइस निर्माताओं पर बढ़ी हुई फीस थोप दी. उनके मुताबिक ये अतिरिक्त लागत अंततः उपभोक्ताओं तक पहुंचीं—या तो ऊंची कीमतों के रूप में, या फिर डिवाइस की गुणवत्ता या प्रदर्शन में समझौते के जरिए. मुद्दा उसी मूल सवाल की परत खोलता है कि पर्दे के पीछे तय होने वाली फीस किस तरह धीरे-धीरे अंतिम दाम में शामिल हो जाती है.
सुनवाई लंदन के Competition Appeal Tribunal में हो रही है. पहले चरण में अदालत यह तय करेगी कि क्या Qualcomm के पास प्रभावी रूप से प्रभुत्व था और क्या उसका दुरुपयोग हुआ. यदि यह स्थापित होता है, तो अगला चरण उपभोक्ताओं को हुए नुकसान के पैमाने का आकलन और मुआवजा निर्धारित करने का होगा. व्यक्ति स्तर पर रकम छोटी दिख सकती है, लेकिन दांव पर लगा सिद्धांत—जरूरी तकनीक की कीमत आखिर कौन वहन करे—काफी भारी है.
कंपनी ने अब तक कार्यवाही पर कोई टिप्पणी नहीं की है. पर्यवेक्षकों का मानना है कि नतीजा बड़े तकनीकी समूहों के खिलाफ अन्य प्रतिस्पर्धा-विरोधी दावों के लिए मिसाल तय कर सकता है.