Chrome का CPU Performance API: डिवाइस की क्षमता के हिसाब से वेब अनुभव

Google Chrome में एक नया फीचर CPU Performance API के नाम से परीक्षण में है। इसका लक्ष्य ब्राउज़र को यह समझने देना है कि किसी डिवाइस की क्षमता क्या है और उसी हिसाब से वेबसाइटों के व्यवहार को अपने‑आप समायोजित करना। पहले से मौजूद Compute Pressure API मौजूदा CPU लोड का संकेत देता है; नया इंटरफेस इससे आगे बढ़कर साइटों को हार्डवेयर की ताकत के मुताबिक कंटेंट को गतिशील रूप से बदलने की अनुमति देगा।

उपयोगकर्ताओं के लिए इसका मतलब, खासकर कमज़ोर मशीनों पर, गेम या वीडियो कॉल जैसे भारी टूल चलाते समय कम फ्रीज़ और कम क्रैश हो सकता है। प्रोसेसर की क्षमता के अनुरूप अनुकूलन ऊर्जा का इस्तेमाल भी सलीके से करेगा, जिससे लैपटॉप और मोबाइल की बैटरी कुछ अधिक चल सकती है। डेवलपर्स के लिए फायदा यह है कि वे ‘वन‑साइज़‑फिट्स‑ऑल’ मॉडल से हटकर अधिक लचीले ऐप संस्करण बना पाएंगे और व्यापक दर्शकों तक पहुँच सकेंगे। यह बदलाव व्यावहारिक और समयोचित लगता है—असल दुनिया के हार्डवेयर में मौजूद विविधता को यह सीधे स्वीकार करता है।

फिर भी एक समझौता मौजूद है—गोपनीयता का जोखिम। API सटीक CPU मॉडल उजागर नहीं करता, लेकिन प्रदर्शन से जुड़ी जानकारी सामने आने पर किसी डिवाइस का ‘फिंगरप्रिंट’ और पैना हो सकता है—यानी बिना बताए ट्रैकिंग की तकनीक मजबूत हो जाती है। जितने अधिक संकेत इकट्ठे होते हैं, किसी उपयोगकर्ता को उसके सिस्टम की अनूठी विशेषताओं से पहचानना उतना ही आसान बनता है।

कुल मिलाकर, नया Chrome सक्षम फीचर आराम और स्थिरता में ठोस सुधार का वादा करता है, भले ही यह गोपनीयता सुरक्षा पर नए सवाल भी उठाता हो। आने वाले महीनों में Google परीक्षण जारी रखेगा और आगे की दिशा तय करेगा। अंततः, गति और निजीपन के बीच संतुलन ही इसके भविष्य की असली कसौटी साबित होगा।